साज श्रृगार रुप देख कर रानी कि तरह, ,, पर सर पे पोटरी (गठरी) विस्मय मे डाल देती है ॥ जैसे कोई रानी अपने प्रजा जनो के लिये महलो को छोड उनकि सेवा के लिये जा रहि हो ॥ जैसे बता रहा हो प्रजा कि सेवा सर्वोतम सेवा ॥ एक श्रवण संस्कृती मे ना कोई राजा रानी, ,, सभी समान ॥ आज इस कुल को क्या बना दिया गया, ,,, खुद मे झाक कर देखे क्या थे क्या बन गये ॥ पर कुछ इस संस्कृती के विरोधी भेडिये आप को क्या बना दिये, ,,,? ??🌹सम्राट अशोक द्वारा बनाये गये रज्जुक संघो के कार्य निष्टा पुर्वक पुरी इमानदारी से रजक(धोबी) आज तक कर रहे है ॥देखे अशोक ने कलिंग में कहा , “सारी प्रजा मेरी संतान है, जिस प्रकार मैं अपनी संतान ऐहिक और कल्याण की कामना करता हूँ उसी प्रकार, अपनी प्रजा के ऐहिक और पारलौकिक कल्याण और सुख के लिए भी। जैसे एक माँ एक शिशु को एक कुशल धाय को सौंपकर निश्चिंत हो जाती है कि कुशल धाय संतान का पालन-पोषण करने में समर्थ है, उसी प्रकार मैंने भी अपनी प्रजा के सुख और कल्याण के लिए राजुकों की नियुक्ति की है ॥ *रजक(धोबी) आज भी सारे प्रजा को ना जाती ना धर्म देख कर अपने संतान कि तरह सेवा कर रहै ॥*🙏🏻....... किशन लाल🌹
Wednesday, 16 September 2020
Saturday, 5 September 2020
जाती कि उत्पत्ति सिद्धांत
*जातीवाद कैसे खत्म किया जा सकता है*?
आज हर बुद्धिजीवी जातीवाद खत्म करने कि बात करता है पर किसी के पास इसको खत्म करने कि सटिक ऊपाय नहि है. ... इस जातीवाद को खत्म करने का ऊपाय के रुप मे आरक्षण कार्ड खेला गया. .. क्या ये कारकर हो पाया? ??? जवाब है नहि ॥
..... आरक्षण को लेकर ऊल्टा हि हुआ जातीवाद नये रुप सर्वण वर्ग एक जुट हो गये. ... यहाँ तक हुआ कि वर्ण सिद्धांत के सब से निचले वर्ग सुद्र (obc) भी अंत्यज वर्ग (sc) के खिलाफ हो गया ॥
लेकिन हमारा व्यक्तिगत अनुभव है कि जातीवाद खत्म तभी हो सकता है जब अंत्यज वर्ग जातीवाद के खिलाफ अपने जातीय इतिहास को मजबुत कर किया जा सकता है. .... ताकि कोई भी अपने जाती को लेकर हिन भावना नहि पालेगा ऊलट जाती को लेकर गर्व महसुस होगा ॥ भरी सभा मे अपने जाती का गुणगान, गॊैरव, का वखान कर सकते है. ... तब अन्य सर्वण समाज आप के इतिहास के सामने टिक नहि पायेगा. .. अपने मिथ्य साहित्य पर दंभ भरते सर्वण समाज का महल तास के पत्ते से बना महल आप के जातिय इतिहास के सामने भर-भरा के विखर जायेगा 🙏🏻
1) जातिय इतिहास से आप के बच्चो मे आत्म सम्मान, आत्म गोैरव कि भावना का विकास होगा ॥
2) आप के बच्चे जाती के कारण कुठा ग्रस्त नहि होगा ॥
3) आप के बच्चो का सार्वागिय विकास करेगा वो अपने ऎतिहासिक पुरुष से प्रेरणा पा कर उस कि तरह बनने कि सोचेगा ऒैर बनेगा
4) जाती तोडने के बजाय जाती मजबुत इस तरह से करने से सर्वण समाज का मिथ्य गॊैरव कांच के महल कि तरह चकना चुर हो जायेगा. .. बस एक पत्तथर तवियत से तो उछाले ॥
5 ) .... जय धोबी वंश के कुल गॊैरव सम्राट अशोक कि जय 🌞स तरह के स्लोगन का निर्माण करे. ........ इतिहास लेखन हि अपने जातीय व्रचस्व को बनाये रखने के लिये किया जाता रहा है एक बार धोबी समाज करे. ...🙏🏻
🌞किशन कुमार लाल🌞
जाती व्यवस्था कि सच्चाई
*जाती व्यवस्था कि सच्चाई*
जातीयो कि उत्पत्ति के बारे सारे इतिहास कारो से हमारा मत भिन्न है ये इतिहास कार बहुत कुछ छिपा जाते है. ... सारे इतिहास कारो से सवाल है. .....
1) भारत अप्रवासीयो का देश है तो जितने शक, कुषाण, हुन, मंगोल, सिथीन, etc आये तो इन एक नस्लिय लोगो का समुह बना कर रहा तो जाती का निर्माण धीरे- धीरे हुअा ये हमारा मत है. .... तो इतिहासकार इसे वेद, कुराण से क्यो खोजते है?
2 ) मध्य भारत का इतिहास लगातार रियासतो के जय - पराजय का रहा तो तो विजेता रहे नस्ल हारे हुए राजाऒ के सैनिक या उस राज्य मे रह रहे लोगो पर प्रतिवंध लगाये हि होगे. .... यहाॅ उत्तपादन ऒैर व्यवसाय का बटवारा हुआ हि होगा. .. तो मिथ्य के साहित्य वेद पुरान मे इस का सवाल क्यो ढुंढा जाता है. .?
3) ब्राह्मणो का समुह भी एक नस्लिय नहि है ऒैर ना इस मे रोटी बेटी संबंध होता है तो सारे जाती का ठिकरा इस के माथे पर क्यो फोडा जाता है. .?
4) जब एक हि नस्ल कि कई जातीय अलग अलग राज्यो मे विभीन्न जाती के रुप मे तो. ... नस्ल कि बाते नहि कर के जाती का जुमला क्यो फैलाया जाता है. ..?
Note- प्राचिन भारत मे अप्रवासी के आने से धीरे धीरे जाती का निर्माण हुआ. ... मध्य भारत मे टकराव के कारण उत्तपादन ऒैर व्यवास का बटवारा हुआ. . ऒैर नवीन भारत मे जाती प्रमाण पत्र निर्गत कर इसे रुढ बना दिया गया 🙏🏻 k k lal