Wednesday, 19 August 2020

खोखर गोत्र का पाया जाना धोबी जाती मे

*हमारे कई ऊपनामो मे एक ऊपनाम "खलिफा" भी है ॥ हम लोगो के टायटल रजक, बैठा, परदेशी होते हुए भी लोग धोबी बोलते थे उसी तरह खलिफा बोले जाने का भी रिवाज है ॥ जिस प्रकार हमारे टायटल -रजक, साफी पारसी भाषा के शब्द है वहि खलिफा भी अरबी शब्द है ॥

खलिफा सुन्नी समुदाय के लोगो का ऊपनाम है ॥

पंजाबी धोबी या पंजाब के धोबीयो के गोत्र खुखरान,  खत्तरी है ऒैर  अपने को राजा *खोखर* का वंशज मानते है ॥

खोखर ईराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन का भी गोत्र था ॥ ..... १२०६ में आधुनिक पाकिस्तान के झेलम क्षेत्र में नदी के किनारे मुहम्मद ग़ोरी को खोखर नामक  क़बीले के लोगों ने अपने ऊपर हुए हमलों का बदला लेने के लिए मार डाला। और खोखर कबीला वोही है जिससे सद्दाम हुसैन भी आते थे | इसलिए यह कहना की धर्म का सम्बन्ध कबीलों से है सर्वथा गलत है | बल्कि आपकी पहचान धर्म से नहीं आपके गौरवशाली कबीले से होती है | स्थान बदले है नस्ले नहि बदला करती है ॥ वहि नाक, आॅख, कद काठी ॥ नस्ल हि सर्वोपरी है ॥..... note- सद्दाम भी सुन्नी मुसलमान हि थे ॥

Sunday, 2 August 2020

प्रीस्ट किंग एक रजक

प्रीस्ट किंग एक रजक. ....

पीस्ट किंग. .. सिन्धु सभ्यता मे मिले इस मुर्ति का नान पीस्ट किंग रखा गया. ..पता नहि क्यो? ...
1) हमारे यहाॅ एक किंवदती है *नाग मनी* कि  जो सांपो के सर पर होना बताया जाता है जो वास्तविकता मे मिथ्य बाते है ॥ पर इस मुर्ति मे सर पर बने गोल चक्र इस बात का सबुुत है कि इस स्थान पर कोई रत्ण,मणि रहा होगा जो अनेक व्यक्ति मे श्रेष्ठ, विशिष्ट  बनाता है ऒैर ये नागवंशी होने का प्रमाण है ॥ ...
2) संतसिरोमणी शब्द के आशय से पता चलता है वैसे संत जिस के सर मणी हो ॥. .... संत सिरोमणी शब्द को अगर मुर्त रुप देंगे तो यहि प्रिस्ट किंग कि मुर्ति बनेगी ॥ . ... शिरोमणी का अर्थ श्रेष्ट होता है जो रजक के टायटल शेटी  से मिलता है ॥
2) सिन्धु सभ्यता मे रंग के कपडे ऒैर कपडे रंगे जाने वाले गढ्ढे का प्रमाण मिला है इस लिये कुछ विद्वान सिन्धु सभ्यता का नाम शुद्धेरंजोदडो रखा है ॥. .
3) इस के तन पर जो चिवर है उस फुल अंकित है जो मजीठा के फुल को प्रद्रशित करता है जिस से प्राचीनकाल मे कपडे रंगे जाते थे ॥
4)प्रीस्ट किंग अर्थात पुरोहित राजा का सटिक नाम रजक होना चाहिये क्यो कि सिंधु सभ्यता के प्रशान व्यवस्था धम्म गुरु या पुरोहितो के हाथ मे थी ॥ सम्राट अशोक के रज्जुक संघ (रजक के ) के हाथो मे प्रशासन कि बाग डोर थी ॥. .......... ..
5)प्रो नवल वियोगी ने रजको को नाग वंश का माना है  जो नागो के सर मणि कि बात को सार्थक करता है . . उपरोक्त तिनो बातो पर ध्यान देने पर पाते है कि ये *रजक* कि प्रतिमा है. ..
..........................इस बात को सार्थक रजक का वेदो पुरानो मे अर्थ ढुढने पर पाते है कि रजक उसे कहा जाता था जो अनेक व्यक्ति मे चमकने वाला व्यक्ति जिस मे राजा होने का ऒैचित्य सिद्ध हो ऒैर जो सामरिक, बोद्धिक, भावनात्क गुणो के आधार पर चमकता है ॥. फारसी मे भी रजक का अर्थ रोजी, रोटी देने वाला बताया गया है.  *उपरोक्त तथ्य सावित करता है कि ये रजक कि प्रतिमा है ॥. .. k k lal