प्रीस्ट किंग एक रजक. ....
पीस्ट किंग. .. सिन्धु सभ्यता मे मिले इस मुर्ति का नान पीस्ट किंग रखा गया. ..पता नहि क्यो? ...
1) हमारे यहाॅ एक किंवदती है *नाग मनी* कि जो सांपो के सर पर होना बताया जाता है जो वास्तविकता मे मिथ्य बाते है ॥ पर इस मुर्ति मे सर पर बने गोल चक्र इस बात का सबुुत है कि इस स्थान पर कोई रत्ण,मणि रहा होगा जो अनेक व्यक्ति मे श्रेष्ठ, विशिष्ट बनाता है ऒैर ये नागवंशी होने का प्रमाण है ॥ ...
2) संतसिरोमणी शब्द के आशय से पता चलता है वैसे संत जिस के सर मणी हो ॥. .... संत सिरोमणी शब्द को अगर मुर्त रुप देंगे तो यहि प्रिस्ट किंग कि मुर्ति बनेगी ॥ . ... शिरोमणी का अर्थ श्रेष्ट होता है जो रजक के टायटल शेटी से मिलता है ॥
2) सिन्धु सभ्यता मे रंग के कपडे ऒैर कपडे रंगे जाने वाले गढ्ढे का प्रमाण मिला है इस लिये कुछ विद्वान सिन्धु सभ्यता का नाम शुद्धेरंजोदडो रखा है ॥. .
3) इस के तन पर जो चिवर है उस फुल अंकित है जो मजीठा के फुल को प्रद्रशित करता है जिस से प्राचीनकाल मे कपडे रंगे जाते थे ॥
4)प्रीस्ट किंग अर्थात पुरोहित राजा का सटिक नाम रजक होना चाहिये क्यो कि सिंधु सभ्यता के प्रशान व्यवस्था धम्म गुरु या पुरोहितो के हाथ मे थी ॥ सम्राट अशोक के रज्जुक संघ (रजक के ) के हाथो मे प्रशासन कि बाग डोर थी ॥. .......... ..
5)प्रो नवल वियोगी ने रजको को नाग वंश का माना है जो नागो के सर मणि कि बात को सार्थक करता है . . उपरोक्त तिनो बातो पर ध्यान देने पर पाते है कि ये *रजक* कि प्रतिमा है. ..
..........................इस बात को सार्थक रजक का वेदो पुरानो मे अर्थ ढुढने पर पाते है कि रजक उसे कहा जाता था जो अनेक व्यक्ति मे चमकने वाला व्यक्ति जिस मे राजा होने का ऒैचित्य सिद्ध हो ऒैर जो सामरिक, बोद्धिक, भावनात्क गुणो के आधार पर चमकता है ॥. फारसी मे भी रजक का अर्थ रोजी, रोटी देने वाला बताया गया है. *उपरोक्त तथ्य सावित करता है कि ये रजक कि प्रतिमा है ॥. .. k k lal
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