Saturday, 5 September 2020

जाती व्यवस्था कि सच्चाई

*जाती व्यवस्था कि सच्चाई*

जातीयो कि उत्पत्ति के बारे सारे इतिहास कारो से हमारा मत भिन्न है ये इतिहास कार बहुत कुछ छिपा जाते है. ... सारे इतिहास कारो से सवाल है. .....
1) भारत अप्रवासीयो का देश है तो जितने शक, कुषाण, हुन, मंगोल,  सिथीन,  etc आये तो इन एक नस्लिय लोगो का समुह बना कर रहा तो जाती का निर्माण   धीरे- धीरे हुअा ये हमारा मत है. .... तो इतिहासकार इसे वेद, कुराण से क्यो खोजते है?
2 ) मध्य भारत का इतिहास लगातार रियासतो के जय - पराजय का रहा तो तो विजेता रहे नस्ल हारे हुए राजाऒ के सैनिक या उस राज्य मे रह रहे लोगो पर प्रतिवंध लगाये हि होगे. .... यहाॅ उत्तपादन ऒैर व्यवसाय का बटवारा हुआ हि होगा. .. तो मिथ्य के साहित्य वेद पुरान मे इस का सवाल क्यो ढुंढा जाता है. .?
3) ब्राह्मणो का समुह भी एक नस्लिय नहि है ऒैर ना इस मे रोटी बेटी संबंध होता है तो सारे जाती का ठिकरा इस के माथे पर क्यो फोडा जाता है. .?
4) जब एक हि नस्ल कि कई जातीय अलग अलग राज्यो मे विभीन्न जाती के रुप मे तो. ... नस्ल कि बाते नहि कर के जाती का जुमला क्यो फैलाया जाता है. ..?

Note- प्राचिन भारत मे अप्रवासी के आने से धीरे धीरे जाती का निर्माण हुआ. ... मध्य भारत मे टकराव के कारण उत्तपादन ऒैर व्यवास का बटवारा हुआ. . ऒैर नवीन भारत मे जाती प्रमाण पत्र निर्गत कर इसे रुढ बना दिया गया 🙏🏻 k k lal

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