कन्नौिजया, रजक, महतो, मेहता, मण्डल और मौर्य.... एक सागा नागवंश का
डा. नवल वियोगी के अनुसार तक्छक या नाग शासक बुद्ध के जीवन काल में रजक नाम से जाने जाते थे। प्राचीन भारतीय गणराज्यों की शासक संघ को म्हास्म्मत भी कहा जाता था। डा आर भंडारकर के अनुसार भी महासंघो की शासक समिति को रजक कहा जाता था। अलग अलग स्तर पर इसे मंडल समिति तथा महत्त भी कहा जाता था।
महासम्मत का ही लघुत्तम रूप है महत्त होता है। मगधी े भाषा में त को तो से सम्बोिधत किया जाता है। और यही शब्द महतो और बाद में मेहता नाम से अलग जाती बना दी गयी । आज भी महतो सरनेम यादव कोइरी कुर्मी तेली धोबी आदि में लगाइ जाती है। कुछ ऐ सा ही मंडल टाईटिल के साथ है।
कर्नल जेम्स टाड ने राजपूतो के इतिहास में मौर्यों को तक्छक नाग कहा है। महावंश टीका पेज नंबर 7 और 9 में आप पढ़ सकते है। प्राकृत भाषा में महतो को महतान कहा जाता था।
जातियाँ बाद में बनी तो जाहिर सी बात है की वर्तमान समय की जातिया बड़े समूह या वर्ग में थी। वो बड़ा समूह क्या था और वो कौन थे आप खुद ही डिसाइड करे।
क्यो, ,,, रजक, कन्नोजिया, महतो ,मेहता, मण्डल को सगा माना गया???????
महतो, मेहता, मण्डल = कोरी
कोरी जाती हि मण्डल ,मेहता टायटल प्रयोग मे लाते है. ......
कोरी शब्द कोरा से बना है कोरा का अर्थ * साफ *(clean) होता है ।
तो स्पष्ट होता है साफ करने वाले (या साफ सुथारा कोरा कहलाने वाले ) का हि एक साखा कृषि कार्य मे लगा जो कालान्तर मे कोरी कहलाया ॥
धोबीयो के अन्य टायटल कि भाती * साफी* टायटल भी प्रसिद्ध है जो इस ओर इसारा करती है साफी का अर्थ हि साफ सुथरा अर्थात कोरा होता है जो कृषी कार्य मे लगे लोग कोरी कहलाये ॥ k k lal
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