Monday, 15 June 2020

प्राचीन धुलाई तकनिक

*भारत कि प्राचिन धुलाई तकनिक ऒैर रसायन*

भारत के सिन्धु सभ्यता मे धुलाई ऒैर रंगाई के प्रमाण मॊैजुद है ॥ आप अंदाजा लगाई कि आज 5-6 हजार साल पहले कोरा (सफेद) कपडो को किस रसायण से दुध जैसी सफेद (उजला) किया जाता था ?.......

उस परिवेश मे ना साबुन था ऒैर ना शर्फ, सोडा इत्यादी रसायण. ....

चलिये आप को उस समय के महान रसायण शास्त्र के प्रकाण्ड वैज्ञानिक समुदाय आज के धोबी जाती द्वारा उपयोग मे लाये जाने वाले प्राकृतिक (नेचुरल) रसायण से अवगत कराता हुँ  जो कपडो को सफेद किये जाने के साथ *नो साईड इफैक्ट*  अर्थात धुले हुए कपडो से कोई किसी प्रकार कि चर्म बिमारी होती थी ॥

धोबी समाज द्वारा उपयोग मे लाये  जाने वाला मिश्रण निम्न है
1) रेह मिट्टी (नोनी मिट्टी)
2) केले के पत्ते का जला राख
3) धोडे कि लिद्दी या बकरी का  भेनाडी  (मल)
4) गाय का मुत्र

उपरोक्त मिश्रण को मिला कर  तैयार करने के उपरांत इस मिश्रण  मे कपडे को डाल दिया जाता था. ...कुछ समय के बाद इसे साफ पानी मे धो लिया जाता था ॥ आप को यह जान के आर्शचर्य होगा कि आज के रसायनिक धुलाई से ज्यादा साफ कपडे  इस आॅगेनि मिश्रण से होते है ॥

🌹किशन कुमार लाल🌹धोबी लाल🌹🙏🏻

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