*समाज को संदेश **
*धोबी की बेटी ऒैर वोट केवल धोबी को**
बात सुल्तानगंज जिला भागलपुर, बिहार की है, जहां सतीश रजक ,(04.01.1939_19.04.1994) मुख्य वाणिज्य इंस्पेक्टर (अधिकारी), उत्तर पूर्वोत्तर रेलवे, कटिहार मे कार्यरत् थे। सेवारत रहते हुए समाज की सेवा के लिये रजक सुधार समिति सुलतानगंज के सचिव के रुप मे कार्य करते रहते थे। हर महीने अवकाश लेकर , इस मीटिंग में शरीक होते और लोगों को जोड़कर जागरूक बनाते रहते थे। इनकी लगन और जागरूकता ने धोबी समाज को अपने कल्याण के लिये बहुत सारी जानकारी हासिल करवाया । ब्लॉक से सरकारी फंड तक की जानकारी लेते और भागदौड़ कर उन कल्याणार्थ को इन अशिक्षित और गरीब धोबी समाज तक पहुंचाने का काम करते। इनकी सुविधा के लिये सरकारी अनुदान के रुप में ब्लीचिंग पाॅउडर, वाशिंग पाउडर, साबुन तक कंट्रोल रेट में उपलब्द्ध कराते थे । इन महापुरुष कि भविष्य दृष्टि ऒैर समाज के लिये किये गये कार्य आज के परिवेश में भी उतनी ही प्रासंगिक है जितने 1970-80 दशक के समय थी ॥ इनके कई संदेशो में एक समाज के नाम दूरगामी संदेश कई मायनों में 21वीं सदी में भी सटिक है *धोबी की बेटी ऒैर वोट सिर्फ धोबी को* ॥ आज के राजनैतिक परिवेश के बिखराव में धोबी समाज हर राजनीतिक दल कि कठपुतली बनकर रह गई है। इसी राजनैतिक दूरदृष्टि को ये महापुरुष 70 के दशक में ही समझ गये थे, इसलिये यह संदेश हर सभा में जरुर लोगों के बीच रखते थे। ये संदेश इसलिये बहुत ही महत्वपूर्ण है कि स्वo सतीश रजक जी समाज में उत्कृष्ट कार्य के लिये धोबी समाज में बहुत ही रसूख रखते थे, जिस कारण बहुत से राजनैतिक दल की निगाहों में थे ॥ कई राजनैतिक दल इनके घर पर पैर घिसते नजर आते थे।फिर भी सभी राजनेता को खाली हाथ ही वापस जाना होता था ॥ इस संबंध मे बहुत हि प्रेरणादायी घटना है कि .. एक राजनेता स्वo सतीश रजक जी के धोबी समाज के बीच बड़ा रसूख से प्रभावित होकर सर्मथन लेने घर पहुंचे तो उनका स्पष्ट दो टूक जवाब था. .. *आप को मालूम होना चाहिये कि आप जिस धोबी जाति से सर्मथन लेने आये हैं वो अपनी बेटी ओैर वोट धोबी को ही देते हैं ।*
. *ये वो महापुरुष थे जो अपने स्वार्थ के लिये कभी धोबी समाज से दलाली नहीं की। उनका मत था कि जिस प्रकार धोबी समाज कि बेटी धोबी समाज कि प्रतिष्ठा होती है उसी प्रकार वोट भी धोबी समाज की प्रतिष्ठा है ॥* *जिस प्रकार बेटी दूसरे समाज में जाने से पूरे समाज का मान सम्मान गिरता है, उसी प्रकार वोट भी दूसरे समाज में जाने से धोबी समाज का मान सम्मान, प्रतिष्ठा, प्रगति दूसरों के अधीन हो जाता है ॥*
स्वo सतीश रजक जी जगह जगह धोबी समाज में जाकर बैठक कर लोगों की जागृति के लिये प्रयासरत् रहते थे। उन्हीं कुछ विचारों को क्रमबद्ध कर उनके उत्कृष्ट कार्य को आपलोगों के सामने रखने का प्रयास करता हूं..
1) उस समय धोबी समाज कि स्थिति बहुत दयनीय थी इस लिये धोबी समाज के कल्याण के लिये बर्तन, पंडाल, चादर, कम्बल कि व्यवस्था किया करते थे ताकि गरीब धोबी के बेटे, बेटी कि शादी में या अन्य अवसरों में बोझ ज्यादा ना पडे ॥ यह एक सामूहिकता और अपनापन का भी परिचायक था।
2) सभी धोबी को एक उचित दर पर कपड़े धोने के लिये प्रेरित करते थे ताकि आर्थिक रुप से धोबी समाज उन्नत हो सके और व्यवसाय की एकरूपता बनी रहे ॥
3)धोबी समाज के लिये सामूहिक सप्ताहिक अवकाश का प्रयास करते थे ताकि काम के बोझ तले स्वास्थ्य खराब नहीं हो और अपने सगे संबंधियों से मेलजोल कर सकें ॥
4) उनका कहना था कि अपने बच्चों को शिक्षा अवश्य दें ताकि सामाजिक सोपान में आगे बढ़ सकें।
5) संविधान में प्रदत्त कानून को सभी के साथ साझा करते थे और किसी प्रकार की समस्या से निपटने के लिए कानूनी प्रक्रिया की भी सलाह देते थे।
आज स्वo सतीश रजक जी हमारे बीच नहीं रहे पर उनके संदेश ऒैर कार्य आज भी धोबी समाज के लिये प्रेरणाश्रोत हैं।🙏🏻
🌹किशन कुमार लाल(बंटी रजक)🌹
Mob no- 9852003692
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