गणतंत्र के समुह नायक सियोराम धोबी
गणतंत्र यानी लोगो का तंत्र दुसरे अर्थ मे लोगो का कानुन ॥ कहते है कि लोकतंत्र विदेशो से आयी विचारधारा है ॥ जिसे भीमराव आम्बेडकर ने 26 जनवरी 1950 को अंग्रेजो के सम्मुख लागु करवाया ॥ ऒर देश गणतंत्र हुआ ॥
कहना ना होगा कि अंग्रजो के आगमन के पहले यहा राज तंत्र था ऒर जितने भी विद्रोह हुए राजस्ता कि प्राप्ति के लिये हि हुए ॥ केवल 600 ईपू त्रेतायुग मे हि सियोराम धोबी ने राजा का विद्रोह किया ॥यह विद्रोह सत्ता प्राप्ती का नहि था यह विद्रोह रजतंत्र के एकाधीकार न्याय प्रक्रिया का था ॥ यह प्रसंग रमायण के एक प्रसंग से आता है जिसमे राम लंका विजय हो कर आये साथ मे छः महिने लंका मे रही गर्ववती पत्तनी सीता को वापस. लाये ॥ तो अयोध्या के निवासीयो के बीच कानो कान ये बाते फैलने लगी कि सीता लंका से गर्ववती हो कर लॊटी है ॥ राम कि निन्दा चारो ऒर होने लगी ॥लेकिन किसी ने राजा के सम्मुख मुह खोलने कि हिम्मत नहि हुई ॥ इसी बीच ,एक दिन सियोराम की धर्मपत्नी से कुछ मुटाव हो गया इस कारण वह दिन ओर रात अज्ञात स्थान पर रही ऒर सुबह होते ही जब वह अपने घर आयी तो सियोराम ने उसको डांट फटकार कर घर से ही बाहर भगा दिया ऒर साहसपुर्वक कडक कर यह बोला कि मै वह राम नही हूँ जिन्होने छः माह तक रावण के घर रहने वाली सीता को अपने पास पुनः रख लिया , दुर्भाग्य से यह प्रसंग दुर्मुख नाम के एक व्यक्ति ने सब सुन लिया ऒर अच्छा सुअवसर पाकर इस घटना को श्रीराम को विस्तार पूर्वक सुना दिया ऒर सियोराम के प्रति श्रीराम का मन खिन्न कर विचलित कर दिया ॥ लेकिन सियोराम धोबी चरित्रवान ,कटुसत्यवादी , होने के नाते साहसपुर्वक अयोध्यावासी के बीच हो रहि निन्दा ऒर अपनी बात को श्रीराम के सामने निडरतापूर्वक रख दी ॥
इस प्रकार धोबी ने श्रीराम को गण (लोग) तंत्र का पाठ सिखाया ॥
राम को अयोध्यावासी के बीच अपनी प्रतिष्टा ,लाज , कुल कि मर्यादा, प्रजा द्वारा जगहसाई ऒर सीयोराम धोबी के आरोपो का भान हुआ. ऒर लोकतंत्र कें समूह-नायक धोबी के आक्षेप पर राम भी सीता को त्यागने पर विवश हो गए थे. ॥
इस प्रकार हम देखते है कि लोकतंत्र कि अवधारना 600 ईपू सियोराम धोबी द्वारा दिया गया ॥
🇮Happy repubic day 🇮
जय संत गाडगे
किशन कुमार लाले
Thursday, 28 April 2016
सियोराम धोबी
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I respect my rajak samaj
ReplyDeleteरजक धोबी समाज में वीरभद्र पर details में बताओ। जय वीरभद्र राजकुलाथोर 🔱
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