रजक गॊरव.🇮🇮🇮 रामचन्द्र धोबी ( विद्धार्थी ) आजादी के दिवाने कि गॊरव गाथ ।🇮🇮🇮
जब हम बैठे थे घरों में, वे झेल रहे थे गोली, जो शहीद हुए हैं, उनकी जरा याद करो कुर्बानी। कुछ ऐसा ही दृश्य था 14 अगस्त 1942 के दिन था ।
महात्मा गांधी ने जब अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था तो इसकी गूंज रामपुर कारखाना के ग्रामसभा सहोदर पट्टी व नौतन हथियागढ़ तक पहुंच गई। इसी गांव के एक गरीब परिवार में जन्मे नौतन हथियागढ़ निवासी रामचंद्र धोबी भी गांधीजी के इस आंदोलन में कूद पड़े। जब उसका ऊर्म 12 वर्ष कक्षा 6 का विद्धार्थी था । पिता का नाम बाबूलाल धोबी था । वो गांव से पैदल चलकर तरकुलवा के बसंतपुर पहुंचे। यहां से कुछ अध्यापक तथा छात्र देवरिया के लिए कूच किए। शहर के लच्छीराम पोखरा पर पहुंच हुजूम जुलूस की शक्ल में बदल गया। अंग्रेजों के खिलाफ गगनभेदी नारे लगाते हुए भीड़ कचहरी पहुंची। यहां मंत्रणा होने लगी कि यूनियन जैक कौन उतारेगा। रामचंद्र धोबी यह शब्द सुनते ही जिम्मेदारी लेने की जिद करने लगे। आखिरकार सभी ने मिलकर पिरामिड बनाया और रामचंद्र को ऊपर चढ़ाकर यूनियन जैक को फड़वा दिया तथा तिरंगा फहरा कर ज्यों ही भारत माता की जयकार की आवाज लगाई तो अंग्रेज अधिकारी उमराव सिंह ने गोली चला दी जिसमें रामचंद्र धोबी को कई गोलिया लगी ऒर वन्देमातरम् कहते कहते रामलीला मैदान मे शहीद हो गए। 🇮🇮🇮11वर्ष बाद 1958 मे उत्तर प्रदेश सरकार के तत्कालिन शिक्षा, ग्रह,ऒर सूचना मंत्री द्वारा नगर पालिका ने रामलीला मैदान मे स्म्रति-स्तंभ का उद्धाटन किया ।🇮🇮🇮🇮🇮🇮 k k lal (बंटि रजक)🇮🇮🇮🇮
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Wednesday, 27 April 2016
रामचन्द्र धोबी(क्रांतिकारी)
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बहुत ही उपयोगी जानकारी,,, हमें आप पर गर्व है.
ReplyDeleteबहुत ही उपयोगी जानकारी,,, हमें आप पर गर्व है.
ReplyDeleteबहुत ही उपयोगी जानकारी,,, हमें आप पर गर्व है.
ReplyDeleteबहुत ही उपयोगी जानकारी,,, हमें आप पर गर्व है.
ReplyDeleteअति उत्तम । बहुत सुन्दर जानकारी दी आपने
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