रामायण का धोबी
रामायण काल मे एक प्रसंग आता है, कि सियोराम नाम का एक धोबी भगवान श्रीराम के दरवार मे प्रमुख सलाहकार के रुप मे सेवा कर रहा था ॥ श्रीराम के राजधराने का सच्चा सत्यवादी ईमानदार वफादार व्यक्ति के रुप मे प्रसिद्ध था ॥ दरबारी कामकाज एवं अंतराज्यीय समस्याऒ पर तथा गंभीर विषयो पर सियोराम धोबी की सलाह ली जाती थी , इसी कारण वह रामदरवार मे घनिष्ट बन गया था , इससे राज्य के अन्य दरवारी सियोराम धोबी से ईष्या रखते थे ,एक दिन सियोराम की धर्मपत्नी से कुछ मुटाव हो गया इस कारण वह दिन ओर रात अज्ञात स्थान पर रही ऒर सुबह होते ही जब वह अपने घर आयी तो सियोराम ने उसको डांट फटकार कर घर से ही बाहर भगा दिया ऒर साहसपुर्वक कडक कर यह बोला कि मै वह राम नही हूँ जिन्होने छः माह तक रावण के घर रहने वाली सीता को अपने पास पुनः रख लिया , दुर्भाग्य से यह प्रसंग दुर्मुख नाम के एक प्रतिद्वदी व्यक्ति ने सब सुन लिया ऒर अच्छा सुअवसर पाकर इस घटना को श्रीराम को विस्तार पूर्वक सुना दिया ऒर सियोराम के प्रति श्रीराम का मन खिन्न कर विचलित लर दिया ॥ लेकिन सियोराम धोबी चरित्रवान ,कटुसत्यवादी , होने के नाते साहसपुर्वक अपनी बात को श्रीराम के सामने निडरतापूर्वक रख दी , इसी कारन से ऎसा कहा जाता है कि श्रीराम ने सीता को पुनः बनवास भेज दिया था ॥
जय संत गाडगे
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Thursday, 28 April 2016
सियोराम धोबी (रामायण)
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